नई फसल का पर्व 'नवाखाई'

आप सभी को नवाखाई पर्व की हार्दिक शुभकामनाये दोस्तों नमस्कार स्वागत है आप सभी का knowledgebook99.blogspot.com की पेज पर  क्या आप सभी  नवाखाई पर्व के बारे में जानते है ?जी हाँ!इस लेख में  ओडिशा राज्य और बस्तरवासियों में परंपरागत प्रचलित त्योहार नवाखाई पर्व के बारे में है, इस त्यौहार को  मनाने के पीछे आखिर इसका क्या उद्देश्य है। और इस त्योहार में क्या खास गतिविधियां होती है इन सभी के बारे में है



नवाखाई पर्व: नुआखाई मूलत: ओडिशा का त्यौहार है। यह पर्व छत्तीसगढ़- के ओडिशा सीमा से लगे जिलों (बस्तर,कोंडागांव,सुकमा,दंतेवाड़ा,बीजापुर व कांकेर के कुछ हिस्से में विशेष उत्‍साह व  धूमधाम से मनाया जाता है।नवाखाई पर्व एक कृषि  का त्योहार है, नुआ का अर्थ ‘नया’ और खाई का अर्थ ‘खाना’ होता है। आज के दिन घर में नए धान के चावल की पूजा-अर्चना कर देवी-देवताओं को भोग लगाया जाता है।नुआखाई के अवसर पर देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। साथ ही पूर्वजों का भी स्‍मरण किया जाता है। उसके बाद अच्छी फसल की कामना और खुशी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।  बस्तर अंचल  में यह परंपरागत त्योहार उमंग और उत्साह के साथ   मनाया जाता है इस नवाखाई पर्व पर मिट्टी के बैल(बैलगाड़ी),खेतो पर उगने वाले धान की बालियों(फसल 🌾)को देवी-देवता (अन्नदेव) की पूजा-पाठ करके अपने आराध्य देवी- देवताओं को प्रसाद भोग लगाने के पश्चात प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इस पर्व पर विशेष रुप से बस्तर अंचल के  लोग चिवरा एवम गुड़  का प्रसाद तैयार  करते है।
चिवड़ा और गुड़ 
 और आज के दिन  नए वस्त्रो का  धारण भी  करते है।इसके बाद वाले दिन को भी वे बासी त्योहार के रूप मानते है इस दिन पर  गांव के लोग परिवार सगे-संबंधियों  से घर -घर जाकर  मिलनसार होते है और एकता और प्रेम भाईचारे का संदेश देते है ।
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