बायो- बबल में पहुँचा कोरोना वायरस आखिर क्या होता है बायो बबल ? जानिए

बायो बबल नया शब्द नहीं है. आईपीएल के पिछले सीजन में भी ये चर्चा में था. बायो बबल को इको बबल भी कहते हैं. ये एक तरह का सुरक्षित वातावरण होता है. मैच से जुड़े सभी खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ इस सुरक्षित वातावरण में रहते हैं. ये एक ऐसा वातावरण हो जाता है जहां आप बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. ये कुछ तरह से क्वारनटीन जैसा ही होता है, लेकिन इसमें सख्ती ज्यादा होती है. 

इस सुरक्षित वातावरण में जो भी जाता है वो बाहर की दुनिया से पूरी तरह से कट जाता है. खिलाड़ियों का कोरोना टेस्ट करने वाली टीम को भी इसका पालन करना होता है. वो भी बायो बबल से बाहर नहीं जा सकते. इसके घेरे में वो सभी लोग आते हैं जो पहले कोरोना टेस्ट से गुजर चुके होते हैं. यानी जो पूरी तरह से संक्रमण से दूर हों. जिनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव हो वही बायो बबल में जा सकते हैं.  
टूर्नामेंट के खत्म होने तक वे इस बबल से बाहर नहीं हो सकते. विशेष परिस्थिति में बाहर जाने वाले को और बबल में लौटने से पहले क्वारनटीन होना पड़ता है. कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद ही वे दोबारा बायो बबल से जुड़ते हैं. बीसीसीआई के मुताबिक, अगर कोई भी बायो बबल तोड़ता है तो वो कोड ऑफ कंडक्ट का दोषी माना जाएगा. उस पर कुछ मैचों का प्रतिबंध भी लग सकता है

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