आप सभी को अभियन्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये हम सभी भारतीय 15 सितम्बर को अभियंता दिवस के रूप में मनाते है । यह अभियंता दिवस इंजीनियर मोक्षगुंडम विसवेसरवैया के जन्मदिवस पर मनाते है ,अभियंता दिवस एवम इससे जुड़ी जानकारी के लिए पूरा आर्टिकल पढ़े।
अभियंता किसे कहते है?
अभियंता एक अंग्रेजी शब्द (engineer) का अनुवाद है । अभियंता वह व्यक्ति है जिसे अभियांत्रिकी की एक या उससे अधिक शाखा में प्रशिक्षण प्राप्त हो एक विद्वान का ने कहा है विज्ञान जानने के बारे में है जबकि इंजिनीरिंग करने के बारे में है।
अभियंता एक अंग्रेजी शब्द (engineer) का अनुवाद है । अभियंता वह व्यक्ति है जिसे अभियांत्रिकी की एक या उससे अधिक शाखा में प्रशिक्षण प्राप्त हो एक विद्वान का ने कहा है विज्ञान जानने के बारे में है जबकि इंजिनीरिंग करने के बारे में है।
अभियंता शब्द की उत्पत्ति कब हुई।
लगभग 1300 ई. के दशक में इंजीनियरिंग पद
का उपयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया जो सैन्य इंजन या मशीन का संचालन करता था।
लगभग 1300 ई. के दशक में इंजीनियरिंग पद
का उपयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया जो सैन्य इंजन या मशीन का संचालन करता था।
इंजीनियर डे की मनाने शुरुआत कब से हुई ?
इंजीनियर- डे भारत रत्न प्राप्त इंजीनियर मोक्षगुंडम
विसवेसरवैया के जन्मदिवस पर सन 1968 ई. में उनके जन्मदिवस को अभियंता दिवस के रूप में मानते है।
इंजीनियर- डे भारत रत्न प्राप्त इंजीनियर मोक्षगुंडम
विसवेसरवैया के जन्मदिवस पर सन 1968 ई. में उनके जन्मदिवस को अभियंता दिवस के रूप में मानते है।
मोक्षगुंडम विसवेसरवैया जी का जीवन परिचय
मोक्षगुंडम विसवेसरवैया का जन्म 15 सितम्बर सन 1860 को मैसूर के रियासत में हुआ था ।इनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री और वे उस समय संस्कृत के विद्वान थे उनके माता जी का नाम वेंकचामा था जब वे 15 वर्ष के थे तब उनके पिताजी का निधन हो गया।
मोक्षगुंडम विसवेसरवैया का जन्म 15 सितम्बर सन 1860 को मैसूर के रियासत में हुआ था ।इनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री और वे उस समय संस्कृत के विद्वान थे उनके माता जी का नाम वेंकचामा था जब वे 15 वर्ष के थे तब उनके पिताजी का निधन हो गया।
शिक्षा:-
एम. विसवेसरवैया जी की प्राथमिक शिक्षा चिकवलापुर से हुई इसके पश्चात आगे की पढ़ाई के लिए बैंगलोर चले गए। सन 1881 में विसवेशरवैया जी ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा पास की इसके बाद मैसूर सरकार से सहायता मिली और इन्होंने आगे की पढ़ाई पुणे के साइंस कॉलेज से इंजीनियरिंग में दाखिला लिया ।
एम. विसवेसरवैया जी की प्राथमिक शिक्षा चिकवलापुर से हुई इसके पश्चात आगे की पढ़ाई के लिए बैंगलोर चले गए। सन 1881 में विसवेशरवैया जी ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा पास की इसके बाद मैसूर सरकार से सहायता मिली और इन्होंने आगे की पढ़ाई पुणे के साइंस कॉलेज से इंजीनियरिंग में दाखिला लिया ।
कैरियर:-
पढ़ाई पूरी करने के पश्चात बॉम्बे सरकार ने नौकरी के दी
और वे नासिक में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत थे उन्होंने भारत के लिए कई मुख्य कार्य किये सिंधु नदी के पानी की सप्लाई सुक्कुर गांव तक कराई सिंचाई प्रणाली में ब्लॉक सिस्टम का भी निर्माण किया बांध पर इस्पात के दरवाजे लगाए ताकि पानी के निकासी के लिए आसानी से द्वार खोला जा सके ।
पढ़ाई पूरी करने के पश्चात बॉम्बे सरकार ने नौकरी के दी
और वे नासिक में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत थे उन्होंने भारत के लिए कई मुख्य कार्य किये सिंधु नदी के पानी की सप्लाई सुक्कुर गांव तक कराई सिंचाई प्रणाली में ब्लॉक सिस्टम का भी निर्माण किया बांध पर इस्पात के दरवाजे लगाए ताकि पानी के निकासी के लिए आसानी से द्वार खोला जा सके ।
मैसूर में कृष्णा सागर बांध बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1903 में खडकवासला बांध बनाया जो बाढ़ के दबाव को झेलने में समर्थ था और कृष्णा राजा सागर डेम का निर्माण किया उस समय यह एशिया का सबसे बड़ा जलाशय था। सन 1906-07 में
भारत सरकार ने उन्हें जल आपूर्ति और जल निकाशी की व्यवस्था की पढ़ाई के लिए अदेन भेजा गया।विसवेसरवैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता भी कहा जाता है।
उनके व्यक्तित्व के बारे में
उनका व्यक्तित्व बहुत साधारण और सरल स्वभाव का था ।वे अनुशासन और आदर्शवादी में पक्के थे ,शुद्ध शाकाहारी और साफ कपड़ो में रहते थे अपने पहनावे से सभी को प्रभावित करते थे उनके हर कार्य परफेक्शन के साथ होते थे जब भी वे भाषण देते उससे पहले उसकी अच्छी तरह से अभ्यास जरूर कर लेते वे समय के पक्के इंसान और एकदम फिट रहते थे 92 वर्ष की उम्र में भी बिना किसी के सहारे चलते थे ।
उन्हें सन 1955 में भारत रत्न पुरुष्कार से नवाजा गया।सन 12 अप्रैल 1962 में उनका निधन हुआ ।आज भी भारतीयो को इंजीनियर एम. विसवेशरवैया की जीवनी उनकी सोंच विचारधारा कार्य सभी को प्रभवित करती है
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