ISRO को तो आप सभी आज अच्छी तरह से जानते ही होंगे और जानेंगे भी क्यों नही, क्यों कि isro जैसे आज इतने बड़े reasearch orgnization ने भारत मे ही नही बल्कि पूरी विश्व मे अपनी अलग पहचान बनाई है। फिर भी आपको हम सभी को इसके बारे में इसरो की कामयाबी और सफलता के कुछ रोचक किस्से इस आर्टिकल में बताना चाहता हु।
क्या है isro का full form?
इसरो भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र है इसे इंग्लिश में Indian Space Research Organisation, कहते है short form में इसरो कहा जाता है।
इसरो भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र है इसे इंग्लिश में Indian Space Research Organisation, कहते है short form में इसरो कहा जाता है।
Isro की स्थापना किसने की इसके जनक कौन है?
इसरो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम डॉ विक्रम साराभाई की संकल्पना है , एवम उनकी सराहनीय योगदान है जिनके मदद से आज इसरो अन्तरिक्ष अनुसंधान की नींव रखी गयी उन्हें आज भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के जनक के रूप में जाना जाता है।
भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा जिन्होंने भारत के भविष्य में वैज्ञानिक विकास को अहम् भाग माना, 1961 में अंतरिक्ष अनुसंधान को परमाणु ऊर्जा विभाग की देखरेख में रखा। उस समय परमाणु ऊर्जा विभाग के निदेशक होमी भाभा थे जिन्हें परमाणु कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है। 1962 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति' (इनकोस्पार) का गठन किया, जिसमें डॉ॰ साराभाई को सभापति के रूप में नियुक्त किया। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन की स्थापना 15 अगस्त 1969 में की गयी थी
इसरो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम डॉ विक्रम साराभाई की संकल्पना है , एवम उनकी सराहनीय योगदान है जिनके मदद से आज इसरो अन्तरिक्ष अनुसंधान की नींव रखी गयी उन्हें आज भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के जनक के रूप में जाना जाता है।
भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा जिन्होंने भारत के भविष्य में वैज्ञानिक विकास को अहम् भाग माना, 1961 में अंतरिक्ष अनुसंधान को परमाणु ऊर्जा विभाग की देखरेख में रखा। उस समय परमाणु ऊर्जा विभाग के निदेशक होमी भाभा थे जिन्हें परमाणु कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है। 1962 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति' (इनकोस्पार) का गठन किया, जिसमें डॉ॰ साराभाई को सभापति के रूप में नियुक्त किया। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन की स्थापना 15 अगस्त 1969 में की गयी थी
भारत ने सबसे पहला कौन सा उपग्रह स्थापित किया?
भारत ने पहला उपग्रह आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा छोड़ा गया। इसका नाम गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया लेकिन यह भारत के लिए अपने आप मे बहुत बड़ी उपलब्धि थी
भारत ने पहला उपग्रह आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा छोड़ा गया। इसका नाम गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया लेकिन यह भारत के लिए अपने आप मे बहुत बड़ी उपलब्धि थी
विश्व मे इसरो का स्थान
भारत की isro space reasearch orgnization अपनी कामयाबी और इसमें उपयोग होने वाली बजट
1.5 बिलियन डॉलर से अधिक बजट और भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी एक साथ एक मिशन में कई सारे उपग्रह लांच करने में सफलता के साथ इसरो की स्पेस रिसर्च सेन्टर में वर्ल्ड के पांचवे स्थान पर इसरो का नाम आता है ।इससे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका रूस ,चीन, जैसे देश ने सूची में बेहतर स्थान प्राप्त किया है।
भारत की isro space reasearch orgnization अपनी कामयाबी और इसमें उपयोग होने वाली बजट
1.5 बिलियन डॉलर से अधिक बजट और भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी एक साथ एक मिशन में कई सारे उपग्रह लांच करने में सफलता के साथ इसरो की स्पेस रिसर्च सेन्टर में वर्ल्ड के पांचवे स्थान पर इसरो का नाम आता है ।इससे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका रूस ,चीन, जैसे देश ने सूची में बेहतर स्थान प्राप्त किया है।
इसरो के नाम पर एक ऐसा रिकॉर्ड, जो अब तक किसी स्पेस रिसर्च एजेंसी के नाम नही है ।
इसरो के नाम पर अंतरिक्ष में एक साथ 104 सैटेलाइट का प्रक्षेपण करने का विश्व रिकॉर्ड है . श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-सी37 लॉन्च किया गया और भारत की इसरो सफलतापूर्वक कार्य करने वाला पहला देश बन गया है।
इसरो के नाम पर अंतरिक्ष में एक साथ 104 सैटेलाइट का प्रक्षेपण करने का विश्व रिकॉर्ड है . श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-सी37 लॉन्च किया गया और भारत की इसरो सफलतापूर्वक कार्य करने वाला पहला देश बन गया है।
आखिर NASA ने भी माना इसरो को लोहा ।
अमेरिका को अंतरिक्ष अनुसंधान केंद नासा भी इसरो की प्रयास एवम उसकी सफलता की सराहना करने से नही चुकता क्यों कि वो जनता है इसरो ने जो भी हासिल किया वो आसान नही है।
अमेरिका को अंतरिक्ष अनुसंधान केंद नासा भी इसरो की प्रयास एवम उसकी सफलता की सराहना करने से नही चुकता क्यों कि वो जनता है इसरो ने जो भी हासिल किया वो आसान नही है।
वर्तमान में इसरो के अध्यक्ष कौन है।
वर्तमाम में इसरो के अध्यक्ष प्रमुख डॉक्टर के सिवन को रॉकेटमैन के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम डॉ
कैलाशवडिवू सिवन है।14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के सराक्कलविलाई गांव में एक किसान के घर उनका जन्म हुआ था।1980 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (IISc) से इंजीनियरिंग में पीजी की पढ़ाई की। फिर 2006 में उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
वर्तमाम में इसरो के अध्यक्ष प्रमुख डॉक्टर के सिवन को रॉकेटमैन के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम डॉ
कैलाशवडिवू सिवन है।14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के सराक्कलविलाई गांव में एक किसान के घर उनका जन्म हुआ था।1980 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (IISc) से इंजीनियरिंग में पीजी की पढ़ाई की। फिर 2006 में उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
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